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आग का अर्थ / विष्णु प्रभाकर

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वैसे ही आग का अर्थ है,
संघर्ष,
संघर्ष- अंधकार की शक्तियों सेसंघर्ष अपने स्वयं के अहम् सेसंघर्ष- जहाँ हम नहीं हैं वहीं बार-बार दिखाने सेकर सकोगे क्या संघर्ष ?पा सकोगे मुक्ति, माया के मोहजाल से ?पा सकोगे तो आलोक बिखेरेंगी ज्वालाएँनहीं कर सके तोलपलपाती लपटें-ज्वालामुखियों कीरुद्ररूपां हुंकारती लहरें सातों सागरों की,लील जाएँगी आदमीऔरआदमीयत के वजूद कोशेष रह जाएगा, बस वहजो स्वयं नहीं जानताकिवह है, या नहीं है ।हमहम प्रतिभा के वरद पुत्रहम सिद्धहस्त आत्मगोपन मेंहम दिन भर करते ब्लात्कार
</poem>
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