भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुम्हीं मिटाओ मेरी उलझन
कैसे कहूँ कि तुम कैसी हो
तुम भी तो जाने कैसी हो
माँ तुम बिल्कुल माँ जैसी हो।।
</poem>