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13:55, 22 अगस्त 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
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<poem>
यह एक बच्चे की फ़ोटो है
इसे खींचा गया था
उसकी मौत से एक घंटा पहले
इस फ़ोटो में बच्चे का सिर है
आँखें हैं, नाक है, होंठ हैं
और एक मुलायम सी ठोड़ी है
बच्चे की इस फ़ोटो में
बस यही कुछ है
उसके सिर और चेहरे पर बँधी हैं पट्टियाँ
कान और गर्दन ढँक गए हैं
उसकी बेहद मुलायम और मासूम सी ठोड़ी
खो गई है पट्टी की अनगिनत परतों में
नाक फूली हुई है
और होठों पर जमा है खून
पेट, पाँव और हाथ तो हैं ही नहीं
वैसे बहुत कुछ नहीं है इस फ़ोटो में
मसलन् बच्चे की इस फ़ोटो में
बच्चा नहीं है
उसकी इच्छाएं
उसके सपने
उसका भविष्य
कुछ भी तो नहीं है
ज़रा सोचिये और बताइये
कि वह क्या है
जिसे देखने की चाहत लिये
इस बच्चे की आँखें ठहर सी गई हैं
क्या आप बता सकते हैं
कि इन दो मासूम और प्यारी आँखों में
ये निर्जीवता, ये मुर्दनी सी क्यों है
एक ऐतिहासिक विडम्बना है ये
कि व्यस्कों की समस्त बुद्धिमत्ता और भाषा
उस पीड़ा को बयां नही कर सकते
जिसे झेल रहा है
ये छोटा सा बच्चा……………
2002
<poem>