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{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
{{KKCatKavita
}}
<poem>
उसने मेरा नाम नहीं पूछा
मेरा काम नहीं पूछा
पूछी एक बात
क्या है मेरी जात
मैंने कहा-इंसान
उसके चेहरे पर उभर आई
एक कुटिल मुस्कान
उसने तेजी से किया अट्टहास
उस अट्टहास में था
मेरे उपहास का
एक लंबा इतिहास
1988, पतंग और चरखड़ी
<poem>
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उसने मेरा नाम नहीं पूछा
मेरा काम नहीं पूछा
पूछी एक बात
क्या है मेरी जात
मैंने कहा-इंसान
उसके चेहरे पर उभर आई
एक कुटिल मुस्कान
उसने तेजी से किया अट्टहास
उस अट्टहास में था
मेरे उपहास का
एक लंबा इतिहास
1988, पतंग और चरखड़ी
<poem>