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नहीं संभाल सका अपने को । जाकर पूछा
'भिक्षा से क्या मिलता है।''जीवन।''क्या इसको
अच्छा आप समझते हैं ।''दुनिया में जिसको
अच्छा नहीं समझते हैं करते हैं, छूछा
पेट काम तो नहीं करेगा ।' 'मुझे आप से
ऎसी आशा न थी ।''आप ही कहें, क्या करूं,
खाली पेट भरूं, कुछ काम करूं कि चुप मरूं,