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Kavita Kosh से
नये ज़माने का दस्तूर बस मआज़ अल्लाह<ref>प्रभु ही बचाए</ref>
नवाज़ता<ref>इज़्ज़त प्रदान करना</ref> है खिताबों<ref>पुरस्कार, अवार्ड</ref> से इन्तकाल<ref>स्वर्गवास</ref> के बाद जहाँ <ref>दुनिया </ref> को मैं ने बस इतनी ही अहमियत दी हैके जितनी क़ीमत-ए-आईना <ref> दर्पण का मूल्य </ref> एक बाल <ref> दर्पण में दरार.चट्का दर्पण</ref> के बाद
ये फ़ूल, चाँद, सितारे ये कहकशाँ<ref>आकाश गंगा</ref> ये घटा