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पैग़ाम / आदिल रशीद

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<Poem>
चलो पैग़ाम दे अहले वतन <ref> देश वासी</ref>को
कि हम शादाब <ref>हरा-भरा </ref>रक्खें इस चमन को <ref> </ref>न हम रुसवा <ref> बदनाम </ref>करें गंगों -जमन <ref>गंगा जमनी तहज़ीब, हिन्दु मुस्लिम एक्त एकता </ref>को
करें माहौल पैदा दोस्ती का
यही मक़सद बना लें ज़िन्दगी का
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