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{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>1-राखी के तार
हैं बहनों का प्यार
बँधा संसार ।
2-बहनें आईं
खुशबू लहराई
राखी सजाई ।
3-राखी के धागे
मधुर रस -पागे
बहिनें बाँधें ।
4-गले से लगी
सालों बाद बहिन
नदी उमगी ।
5- बहिनें सभी
मेरी आँखों का नूर
पास या दूर ।
6-उठी थी पीर
बहिनों के मन में
मैं था अधीर ।
7-इस जग में
ये बहिनों का प्यार
है उपहार ।
8-राखी का बन्ध
बहिनों से सम्बन्ध
न छूटे कभी ।
9-सरस मन
खुश घर -आँगन
आई बहिन ।
10-दूर बहिनें
थी आँखें भर आई
सूनी कलाई !
11-आज के दिन
बहिन है अधीर
आया न बीर ।
12-प्राण ये छूटें
प्यार का ये बंधन
कभी न टूटे ।
13- छुआ जो शीश
भाई ने बहिन का
झरे आशीष ।
14-खिले हैं मन
आज नेह का ऐसा
दौंगड़ा पड़ा ।
15-अश्रु-धार में
जो शिकायतें -गिले
धूल -से धुले ।
16-बहने हैं छाँव
शीतलता मन की
ये जीवन की ।
17-मन कुन्दन
कुसुमित कानन
हर बहन ।
-0-
[दौंगड़ा-बहुत तेज बारिश]
23 -24 अगस्त , 2010
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
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<poem>1-राखी के तार
हैं बहनों का प्यार
बँधा संसार ।
2-बहनें आईं
खुशबू लहराई
राखी सजाई ।
3-राखी के धागे
मधुर रस -पागे
बहिनें बाँधें ।
4-गले से लगी
सालों बाद बहिन
नदी उमगी ।
5- बहिनें सभी
मेरी आँखों का नूर
पास या दूर ।
6-उठी थी पीर
बहिनों के मन में
मैं था अधीर ।
7-इस जग में
ये बहिनों का प्यार
है उपहार ।
8-राखी का बन्ध
बहिनों से सम्बन्ध
न छूटे कभी ।
9-सरस मन
खुश घर -आँगन
आई बहिन ।
10-दूर बहिनें
थी आँखें भर आई
सूनी कलाई !
11-आज के दिन
बहिन है अधीर
आया न बीर ।
12-प्राण ये छूटें
प्यार का ये बंधन
कभी न टूटे ।
13- छुआ जो शीश
भाई ने बहिन का
झरे आशीष ।
14-खिले हैं मन
आज नेह का ऐसा
दौंगड़ा पड़ा ।
15-अश्रु-धार में
जो शिकायतें -गिले
धूल -से धुले ।
16-बहने हैं छाँव
शीतलता मन की
ये जीवन की ।
17-मन कुन्दन
कुसुमित कानन
हर बहन ।
-0-
[दौंगड़ा-बहुत तेज बारिश]
23 -24 अगस्त , 2010
</poem>