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Kavita Kosh से
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मोटी, धुली लाॅन लॉन की दूब,<br> ::साफ़ मखमल की कालीन।<br>
ठंडी धुली सुनहरी धूप।<br><br>
पलकों पर हौले-हौले<br>
तुम्हारे फूल से पाँव<br>
अकेला हूँ आओ!