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नियति / सुधा ओम ढींगरा

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<poem>
द्रौपदी-सी वह
झूठ,
धोखा,
बेईमानी,
ईर्ष्या,
बेवफाई
से पाण्डवों द्वारा
प्रेम की बिसात पर
रोज़ दांव पर लगती है....

प्रणय में छली जाती है,
प्रीत रुपी दुर्योधन
वादों के दुष्शासन से
चीर हरण करवाता है ...

निवस्त्र पीड़िता को
कोई कृष्ण बचाने नहीं आता...

क्या औरत की नियति
हर युग में लुटना ही है...
</poem>