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वह क्षीर सिन्धु सी पावन हो<br>
जिस आँगन की हो मौलश्री<br>
वह आँगन क्या व्रन्दावन वृन्दावन हो<br>
जिन अधरों का चुम्बन पाओ<br>
वे अधर नहीं गंगातट हों<br>
मै तुमको चाँद सितारों का<br>
सौंपू उपहार भला कैसे<br>
मैं यायावर बंजारा साँधू साधू<br>
सुर श्रंगार भला कैसे<br>
मैन जीवन के प्रश्नों से नाता तोड तुम्हारे साथ शुभे<br>