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बयान देते हैं सब, कोई जी नहीं देता

कठिन समय पे कोई भीख भी नहीं देता


गरीब हो तो कहावत भी याद रखनी थी

बगैर तेल दिया रोशनी नहीं देता


चढाओ जितना भी जल, वो तो सिर्फ़ सूरज है

सुखा तो देता है लेकिन नमी नहीं देता


मैं दर्द लेके दुखी हूँ मगर पता है मुझे

मेरा ख़याल उन्हें भी खुशी नहीं देता


ये रिश्ते नाते भी लगते हैं उस महाजन से

जो सूद लेता है, खाता बही नहीं देता


लिखत पढ़त ही शरीफों में ले गयी सर्वत

मगर लहू मुझे संजीदगी नहीं देता<poem/>