गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उठती है हर एक दिल में यहाँ पीर हमेशा / सर्वत एम जमाल
133 bytes removed
,
12:41, 5 सितम्बर 2010
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
}}
|
रचनाकार=सर्वत एम जमाल
संग्रह=
}}
{{
KKCatGazal
KKCatGhazal
}}
<poem>
उठती है हर इक दिल में यहाँ पीर हमेशा
लाहौर से दिल्ली की डगर साफ़ है लेकिन
आंखों में खटक जाता है कश्मीर हमेशा<
poem
/
poem
>
Firstbot
बॉट
,
प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
,
widget editor
1,572
edits