Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna}} |रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= }} {{KKCatGazalKKCatGhazal}} <poem>
फिर दिन ढला कि रात, बताओ तो कुछ कहूं
शहरों ने सर्वत अब तो बदल डाली अपनी शक्ल
कैसे हैं जंगलात, बताओ तो कुछ कहूं<poem/poem>