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फिर दिन ढला कि रात बताओ तो कुछ कहूँ / सर्वत एम जमाल
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रचनाकार=सर्वत एम जमाल
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फिर दिन ढला कि रात, बताओ तो कुछ कहूं
शहरों ने सर्वत अब तो बदल डाली अपनी शक्ल
कैसे हैं जंगलात, बताओ तो कुछ कहूं<
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