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12:13, 7 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=रित्सुको कवाबाता
}}
[[Category:जापानी भाषा]]
<poem>
तड़ाक!
सफ़ेद गेंद उछलती है हवा में !
ज़ोरदार तालियाँ गूँजती हैं
ओह ओ ......
जब गेंद खो जाती है आकाश में .
दर्शक बौरा जाते हैं
लेकिन खिलाडी शांत है
ख़ुशी से झिलमिलाता !
काश लगा पाती मैं एक होम-रन ,
अगर मिलता मौका मुझे भी
मैं उछलती बल्ले को
अपनी पूरी ताकत से !
'''अनुवादक: [[मंजुला सक्सेना]]'''
</poem>