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12:15, 7 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=रित्सुको कवाबाता
}}
[[Category:जापानी भाषा]]
<poem>
मैं बन जाती हूँ बिल्ली
दिन में एक बार !
चेहरा नीचे ,
हथेलियाँ फर्श पर ,
मैं तानती हूँ अपनी बाहें .
मैं बन जाती हूँ समुद्री शेर
'उठाकर अपने नितम्ब
मैं डालती हूँ सारा भार पीछे को .
मैं बन जाती हूँ एक ऊंट
बाहें पसारे
छूती है थोड़ी फर्श .
मैं सचमुच की बिल्ली नहीं हूँ ,
मेरे नहीं है बिल्ली सी मूंछ
लेकिन मैं बड़ी खुश हूँ ,
सोचकर की मैं बिल्ली हूँ ..
म्याऊं ....!
'''अनुवादक: [[मंजुला सक्सेना]]'''
</poem>