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Kavita Kosh से
अँधेरे वक्त में भी गीत गाये जायेंगे...
लोग कहते रहें इस रात की सुबह ही हीं नहीं ,
कह दे सूरज कि रौशनी का तजुर्बा ही नहीं ,
वो लडाई को भले आर पार ले जाये जाएँ ,लोहा ले जाये जाएँ वो लोहे की धार ले जाये जाएँ ,
जिसकी चोखट से तराजू तक हो उन पर गिरवी
उस अदालत में हमें बार बार ले जायेजाएँ
हम अगर गुनगुना भी देंगे तो वो सब के सब