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तिरे इश्क की इंतहा चाहता हूँ / इक़बाल
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10:00, 16 सितम्बर 2010
कोई बात सब्र-आज़मा <ref>धैर्य की परीक्षा लेने वाली</ref> चाहता हूँ
वो जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों
<ref>संयम से रहने वालों</ref>
को
कि मैं आपका सामना चाहता हूँ
द्विजेन्द्र द्विज
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