गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कहै 'कवि बेनी, बेनी ब्याल की चुराइ लीनी / बेनी
468 bytes removed
,
10:40, 17 सितम्बर 2010
पृष्ठ से सम्पूर्ण विषयवस्तु हटा रहा है
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बेनी
}}
[[Category:पद]]
<poeM>कहै 'कवि बेनी, बेनी ब्याल की चुराइ लीनी।
रती-रती शोभा सब रति के शरीर की।
अब तौ कन्हैया जू को चित्त चुराई लीन्ही,
चोरटी है गोरटी या छोरटी अहीर की॥
</poeM>
SAJJAN SINGH
3
edits