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मदरसे औ' मन्दिर भी बाज़ार निकले
किसी एक विरान वीरान-सी रहगुज़र पर
फटे हाल मुफलिस वफादार निकले
गुलाबों कि की दुनिया बसाने की क्वाहिशख़्वाहिश
लिए दिल में जंगल से हर बार निकले
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