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सतह के समर्थक समझदार निकले / शेरजंग गर्ग
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02:32, 18 सितम्बर 2010
मदरसे औ' मन्दिर भी बाज़ार निकले
किसी एक
विरान
वी
रान-
सी रहगुज़र पर
फटे हाल मुफलिस वफादार निकले
गुलाबों
कि
की
दुनिया बसाने की
क्वाहिश
ख़्वाहिश
लिए दिल में जंगल से हर बार निकले
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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