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कृश्न के देश में सुशासन जन,
कन कब तलक यों हरेंगे चीरों को?
चलती चक्की को देखकर हँसते,
हाय, क्या हो गया कबीरों को।
लूट , नफ़रत, तनातनी, हिंसा,
कब मिटाओगे इन लकीरों को?
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