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{{KKRachna}} |रचनाकार=सर्वत एम जमाल |संग्रह= }} {{KKCatGazalKKCatGhazal}} <poem>
यह जो शाम सिंदूरी है
सूरज की मजबूरी है
जितने दिन कस्तूरी है
दौलत या इज्जत ले लूँ
लेकिन कौन जरूरी है