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Kavita Kosh से
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
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<poem>
कैसे चुपचाप मर जाते हैं कुछ लोग यहाँ
जिस्म की ठंडी सी
तारीक सियाह कब्र के अंदर!
ऐसे चुपचाप ही मर जाते हैं कुछ लोग यहाँ