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चींटी / पूनम तुषामड़

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<poem>
वे कहते हैं -
चींटी के पर निकल आए हैं।
चींटी चल रही है झुंड में
अब इसे आटा मत डालो
पुण्य के नाम पर मत पालो
क्योंकि -
चींटी अब खूंखार हो गई है
मारो - मारो
रोंद डालो
इससे पहले कि हमारे नथूनों में घुसकर
पागल कर दे हमें
और धराशायी कर दें
हमारी सत्ता को
अपने पाँव से
इसे मसल डालो।
</poem>