Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पूनम तुषामड़ |संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषाम…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पूनम तुषामड़
|संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषामड़
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जंगल में राजनीति
फिर गरमायी है
शेर, लोमड़ी, भेडिये
और सियार
फिर हो गए हैं तैयार
ढूंढ़ने लगे हैं
अपना-अपना पक्ष
करने को वार
भेड़, मृग, खरगोश
और बकरी
इन सबकी फिर से
शामत
आई है
</poem>