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12:48, 24 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पूनम तुषामड़
|संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषामड़
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दो और मर गए
सीवर में दम घुटकर
डूबकर
तुम्हारे घरों से निकलती
नालियों से बहती
सड़ती, बजबजाती
गंदगी का बन गए
हिस्सा।
और....अखबार के एक कोने से
झांकती एक छोटी-सी खबर!
</poem>