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|रचनाकार=शहरयार
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महफिल में बहुत लोग थे मै तन्हा गया था
हाँ तुझ को वहाँ देख कर कुछ डर सा लगा था
महफिल में बहुत लोग थे मै तन्हा गया ये हादसा किस वक्त कहाँ कैसे हुआ था<br>हाँ तुझ को वहाँ देख कर कुछ डर सा लगा प्यासों के तअक्कुब* सुना दरिया गया था<br><br>
ये हादसा किस वक्त कहाँ कैसे हुआ था<br>आँखे हैं कि बस रौजने दीवार* हुई हैंप्यासों के तअक्कुब* सुना दरिया इस तरह तुझे पहले कभी देखा गया था<br><br>
आँखे हैं कि बस रौजने दीवार* हुई हैं<br>ऐ खल्के-खुदा तुझ को यकीं आए-न-आएइस तरह तुझे पहले कभी देखा कल धूप तहफ्फुज* के लिए साया गया था<br><br>
ऐ खल्के-खुदा तुझ को यकीं आए-न-आए<br>कल धूप तहफ्फुज* के लिए साया गया था<br><br> वो कौन सी साअत थी पता हो तो बताओ<br>ये वक्त शबो-रोज* में जब बाँटा गया था<br><br>
* पीछा करना<br>
* संरक्षण<br>
* रात-दिन
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