भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
aagrah
}}
<poem>aagrah
(मित्रों से क्षमा सहित)
मित्रो, मैं मर जाऊँ
सहज ही समझ जाएँगी
मैं था एक ज़हरीला साँप।
</poem>Mukesh Negi