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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=जयकृष्ण राय तुषार}}{{KKCatNavgeet}}<poem>:जाने क्या होता<br />:इन प्यार भरी बातों में?<br />:रिश्ते बन जाते हैं<br />:चन्द मुलाकातों में।<br />में । मौसम कोई हो<br />हम अनायास गाते हैं,<br />बंजारे होठ मधुर<br />बांसुरी बाँसुरी बजाते हैं,<br />:मेंहदी के रंग उभर आते हैं<br />:हाथों में<br />। खुली-खुली आंखों आँखों में<br />स्वप्न सगुन होते हैं,<br />हम मन के क्षितिजों पर<br />इन्द्रधनुष बोते हैं,<br />:चन्द्रमा उगाते हम<br />अंधियारी :अँधियारी रातों में।<br />में । सुधियों में हम तेरे<br />तेरीभूख प्यास भूले हैं<br />पतझर में भी जाने<br />क्यो पलाश फूले हैं<br />:शहनाई गूंज गूँज रही<br />:मंडपों कनातों में।</poem>