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Kavita Kosh से
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥<br><br>
न ये हिम पिघलता, न नदियां नदियाँ ये बहतीं,<br>
न नदियाँ मचलती, न सागर में मिलतीं,<br>
सागर की बाहों में गर समाए न होते ।<br>
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