'''एक शहर''' यह शहर डूबे तो अच्छा है इसके डूबने से नदिया धुल जाएगीप्रदूषण-मुक्त हो जायेगा जलबह जाएँगी टूटी फूटी सड़कें ढह जाएँगे कमज़ोर पुल बह जायेंगे सभी स्टेडियमबने हैं जो भ्रष्टाचार के ईडियमधुल जायेगा सबके मन का मैला हो जायेगा उजला नेताओं का थैला धुल जाएगी शहर की गन्दगी मुस्कराएगी फिर नई जिंदगीहो जाएँगी धराशायी पुरानी इमारतेंहो जाएँगी नष्ट भ्रष्टाचार की जड़ें बह जायेंगे सैलाब में चोर लुटेरे एक हो जाएगी फिर सारी बस्ती यहाँ के झोंपड़े और अमीरों की हस्ती नहीं रहेगी जब किसी की हस्ती तब हर चीज़ मिलेगी सस्ती नए पुल व सड़कें बनेंगे सुन्दर हवादार घर बसेंगे हटेंगे सारे अवैध कब्ज़े सब सड़कें फिर चौड़ी होंगी नहीं लगेंगे जाम यहाँ वहाँसब बसें सरपट दौडेंगीपरन्तु सवाल तो वही है क्या बाढ़ आएगी और डूबेगा ये शहरयारब अब तुम्हीं पर छोड़ता हूँ तुम्हारी भेजी बाढ़ और आफतशहर तो भ्रष्ट खेलों में डूब ही रहा है शायद इस बारिश में डूबने से बच जाये ! -अश्विनी कुमार रॉय