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|संग्रह=दुख जोड़ेंगे हमें / ब्रजमोहन
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{{KKCatGeet}}::<poem> दोस्तो हमारा एक-एक पल :: ज़िन्दगी सँवारने को है विकल 
हमने अपने दर्द को मिला दिया जहान से
 
औ' जहाँ के दर्द को सुबह के आसमान से
 
हम ही ज़िन्दगी की झील में खिलाएंगे कँवल
 
अब हमारे ख़्वाब में है आदमी की ज़िन्दगी
 
ज़िन्दगी का प्यार और ज़िन्दगी की हर ख़ुशी
 
तोड़ देगा छल समय के अपनी एकता का बल
 
वो हमारी प्यास पी के जी रहे हैं देखिए
 
हम दुखों के आसमान पी रहे हैं देखिए
 
हम समुद्र हैं, गगन से बरसें तो उथल-पुथल
 
और कितने दिन चलेगा प्यास का यह सिलसिला
 
मौत की हदों में आ गया है लूट का किला
 
हम नए निर्माण की हैं नींव के पत्थर सबल
</poem>
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