भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अतीत के साथ / मनोज श्रीवास्तव

No change in size, 11:27, 20 अक्टूबर 2010
मैं उन्हें तंग नहीं करूँगा
इस अशिष्ट दुनिया की
खुरदरी जमीं जमीन पर बुलाकर
और नहीं कहूँगा कि--
वे तुम्हें निचाट में छोड़
ढेरों बातें करें
मेरा मन बहलाएँ.