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कर्म ही पूजा / दीनदयाल शर्मा
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15:44, 20 अक्टूबर 2010
अपनी सेवा पाता
बाकी दिन मैं मेहनत करता
नजर
नज़र
न कभी चुराता।
खाना जैसा देते मुझको
अनिल जनविजय
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