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लौट आई दूर जा कर नज़र / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
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06:35, 21 अक्टूबर 2010
बुदबुदाया शहर में आ कर फ़कीर
क्यूँ चला आया मैं जंगल
छोड
छोड़
कर
कौन देगा अब उसे मेरा पता
कैसे मैं लाऊँगा उस को
ढूँढ
ढूँढ़
कर
फिर मुरव्वत में किया उस पर 'यक़ीन'
फिर समझ बैठा हूँ उस को मोतबर
</poem>
अनिल जनविजय
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