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Kavita Kosh से
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'''क्षमा शोभती उस भुजंग कोमेरे जीवन की जागृति, जिसके पास गरल होदेखो फिर भूल न जाना'''<br>'''उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीतजब 'वे' सपना बन आवें, सरल हो।तुम चिरनिद्रा बन जाना!'''<br>
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कविता कोश में [[रामधारी सिंह "दिनकर"महादेवी वर्मा]]
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