भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
276 bytes removed,
13:50, 26 अक्टूबर 2010
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
|संग्रह=
}}
आए
और चले गए
सुखशाई दिन
छूकर मुझे
देकर दुखदाई
अंधकार
भरमार
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader