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फुगडी

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सोंडी बाई सोंडी माजघराची सोंडी
गौर गेली सासरी जागा झाली भोंडी|
'''5.
पैशाची घेतली जुडी
जुडी बाई जुडी, सांबाराची जुडी
माहेरचा डोंगा पाहून घेतली उडी| www.khapre.org से प्रतिबिम्बित
</poem>
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