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Kavita Kosh से
वृक्ष हों भले खड़े, हो घने, हो बड़े, <br>
एक पत्र-छॉंह भी मॉंग मत, मॉंग मत, मॉंग मत! <br>
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! <br><br>
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कविता कोश में [[हरिवंशराय बच्चन]]
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