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{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>

जे राग मन में बाटे, सुर पर सधात नइखे
काहें दो बात मन के, साथी, कहात नइखे

कहिये से जे बा बइठल, भीतर समा के हमरा
हहरत हिया के धड़कन ओकरे सुनात नइखे

बदलाव के उठल बा अइसन ना तेज आन्ही
कहवाँ ई गोड़ जाता, कुछुओ बुझात नइखे

दरियाव उम्र के अब 'भावुक' उफान पर बा
हमरा से बान्ह एह पर बन्हले बन्हात नइखे

<poem>