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समय ने जब भी अधेंरो से दोस्ती की हैसर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा, <br>जला के हमने अपना घर रोशनी की है<br>इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा।सुबूत हैं मेरे घर में धुएं के ये धब्बे<br>अभी यहाँ पर उजालों ने ख़ुदकुशी की है।<br>
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कविता कोश में [[गोपालदास "नीरज"बशीर बद्र]]
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