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हमरा सँगे अजीब करामात हो गइल / मनोज भावुक
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04:24, 29 अक्टूबर 2010
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{{KKRachna
खुद जिन्दगी भी बाटे सवालात हो गइल
''
'''परिचय हमार पूछ रहल बा घरे के लोग
'''
'''
अइसन हमार हाय रे, औकात हो गइल
''
'''
जमकल रहित करेज में कहिया ले ई भला
'भावुक' हो! हमरा वास्ते बाटे बहुत कठिन
भीतर जहर उतार के सुकरात हो गइल
<poem>
अनिल जनविजय
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