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नया पृष्ठ: KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज भावुक }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> हजारो गम में रहेले मा…
KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>

हजारो गम में रहेले माई
तबो ना कुछुओ कहेले माई

हमार बबुआ फरे-फुलाये
इहे त मंतर पढेले माई

हमार कपडा, कलम आ कॉपी
सँइत-सँइत के धरेले माई

बनल रहे घर, बँटे ना आँगन
एही से सभकर सहेले माई

रहे सलामत चिराग घर के
इहे दुआ बस करेले माई

बढे उदासी हिया में जब-जब
बहुत-बहुत मन परेले माई

नजर के काँटा कहेलीं रउरा
जिगर के टुकडा कहेले माई

'मनोज' हमरा हिया में हरदम
खुदा के जइसन रहेले माई

<poem>