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नया पृष्ठ: KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज भावुक }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> गजबे मुकद्दर हो गइल ग…
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{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>

गजबे मुकद्दर हो गइल
गड़ही समुन्दर हो गइल

साथी त टंगरी खींच के
हमरा बराबर हो गइल

घरही में सिक्सर तान के
बबुआ सिकन्दर हो गइल

राजा मदारी कब भइल?
जब लोग बानर हो गइल

'भावुक' कहाँ भावुक रहल
ईहो त पत्थर हो गइल

<poem>