Changes

|रचनाकार=गोपाल सिंह नेपाली
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>
कर्णधार तू बना तो हाथ में लगाम ले
 क्रांति क्राँति को सफल बना नसीब का न नाम ले  
भेद सर उठा रहा मनुष्य को मिटा रहा
 
गिर रहा समाज आज बाजुओं में थाम ले
 
त्याग का न दाम ले
 दे बदल नसीब तो गरीब ग़रीब का सलाम ले
यह स्वतन्त्रता नहीं कि एक तो अमीर हो
 
दूसरा मनुष्य तो रहे मगर फकीर हो
 न्याय हो तो आरपार आर-पार एक ही लकीर हो  वर्ग की तनातनी न मानती है चांदनी चाँदनी  चांदनी लिये चाँदनी लिए चला तो घूम हर मुकाम ले  
त्याग का न दाम ले
 दे बदल नसीब तो गरीब ग़रीब का सलाम ले</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,466
edits