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मुसकुराती रही कामना / गोपाल सिंह नेपाली
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16:49, 29 अक्टूबर 2010
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|रचनाकार=गोपाल सिंह नेपाली
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तुम जलाकर दिये, मुँह छुपाते रहे, जगमगाती रही कल्पना
रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना
अनिल जनविजय
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