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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=सत्यनारायण सोनी |संग्रह=}}{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>आसमान में
उड़ती पतंगों को
निहार रही
छत पर खड़ी
गुडिय़ा-सी बिटिया।बिटिया ।
दिख गया उसे
आसमान चीरता
एक हवाई जहाज।जहाज़ ।
बोली-
पापा,
हवाई जहाज जहाज़ ला दो ना!
विस्फारित नेत्रों
पढ़ा पिता ने
बेटी का चेहरा
और मुस्कराए।मुस्कराए ।
बेटी ने गड़ा दीं आँखें
पिता की आँखों में,
ला दो ना पापा,
हम हवाई जहाज जहाज़ पर चढ़
पतंग लूटेंगे!
 
</poem>
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