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पहली किरण / सत्यनारायण सोनी

140 bytes added, 19:55, 30 अक्टूबर 2010
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=सत्यनारायण सोनी |संग्रह=}}{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>सूरज की
पहली किरण
लपकने की होड़ में
उचकीं,
मंदिर के गुम्बद
ऊपर उठे।उठे ।
और इस होड़ाहोड़ी होड़ा-होड़ी में
लोगों ने
अगले दिन का सूरज नहीं देखा।देखा ।
</poem>
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