Changes

घिसी पैंसिल / रघुवीर सहाय

85 bytes removed, 19:19, 7 मार्च 2010
{{KKGlobal}}
{{KKRachna|रचनाकार: [[=रघुवीर सहाय]][[Category:कविताएँ]][[Category:|संग्रह =कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ / रघुवीर सहाय]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~}}{{KKCatKavita‎}}<poem>
फिर रात आ रही है
 
फिर वक़्त आ रहा है
 जब नींद दु:ख दुःख दिन को 
संपूर्ण कर चलेंगे
 
एकांत उपस्थित हो,'सोने चलो' कहेगा
 
क्या चीज़ दे रही है यह शांति इस घड़ी में ?
 
एकांत या कि बिस्तर या फिर थकान मेरी ?
 
या एक मुड़े काग़ज़ पर एक घिसी पैंसिल
 
तकिये तले दबा कर जिसको कि सो गया हूं ?
  ('कु़छ पते कुछ चिट्ठियां' नामक कविता-संग्रह से )</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,186
edits