भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तैलंग
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
महाश्वेवता
गल्प नहीं लिखतीं।लिखतीं ।
महाश्वेता रचती हैं
आदिम समाज की करुणा का महासंगीत।महासंगीत ।
वृक्षों की,
वनचरों की,
लोक की चिंताओं का अलापती हैं राग।राग ।
महाश्वेवता की अनूभुतियांअनुभूतियाँ
जब ग्रहण करती हैं आकार
वृक्षों का कंपन,
लोक का वंदन
सब कुछ समाहित होता चलता है
उनकी रचनाओं में।में ।
महाश्वेता नहीं बांचती बाँचती अपनी प्रशस्तियों
या अपने दुःखों के अतिरंजित अध्याय,
वे घूमती हैं अरण्यों के बीच...
निश्ष्ंकनिःशंक,प्रकाशपुंज प्रकाशपुँज की तरह,
जगाती हैं प्रतिरोध की शक्ति
निर्वलनिर्बल, असहाय, आकुल मनों में।में ।
देती हैं आर्त्तजनों को आश्रय
घोर हताशा के क्षणों में।में ।
महाश्वेता
परंपराओं से,
पुराकथाओं से।से ।
द्रोपदी मझेन,दूलन गंजू,
नहीं हैं महाश्वेता की कल्पना के पात्र,
हाड-मांस वाले जीते जागे चरित्र हैं वे
इसी चराचर जगत के।के ।
महाश्वेता का लिखा,
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,855
edits